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सहरिया जनजाति


सहरिया
Ø बारां जिले की किशनगंज तथा शाहाबाद तहसीलों में निवास करती है.
Ø सहराना इनकी बस्ती को सहराना कहते है.
इनमे वधूमूल्य तथा बहुपत्नी प्रथा का प्रचलन है.
ये लोग काली माता की पूजा करते है.
ये दुर्गा पूजा विशेष उत्साह के साथ करते है.
Ø कोतवाल मुखिया को कोतवाल कहते है.
Ø ये लोग स्थानांतरित खेती करते है.
Ø ये लो जंगलो से जड़ी-बूटियों को एकत्रत कर विभिन्न प्रकार की दवाएं बनाने में दक्ष होते है.
ये राजस्थान की एकमात्र आदिम जनजाति है.
Ø सहरिया जनजाति राज्य की सर्वाधिक पिछड़ी जनजाति होने के कारण भारत सरकार ने राज्य की केवल इसी जनजाति को आदिम जनजाति समूह की सूची में रखा गया है.
Ø सहरिया शब्द की उत्पति सहर से हुई है जिसका अर्थ जगह होता है.
इस जनजाति के लोग जंगलो से कंदमूल एवं शहद एकत्रित कर अपनी जीविका चलाते है.
ये लोग मदिरा पान भी करते है.

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